मझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे,
अक्सर तुझको देखा है की ताना बुनते
जब कोई धागा टूट गया या ख़त्म हुआ ,
फिर से बाँध के और सिरा कोई जोड़ के उसमें ,
आगे बुनने लगते हो ...............!
तेरे इस ताने में लेकिन
एक भी गाँठ गिरा बुनकर की,
देख नही सकता कोई,
मैंने तो एक बार बुना था
एक हीं रिश्ता ,लेकिन
उसके सारे गिरहें साफ़ झलकती
मेरे यार जुलाहे
मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे !!!
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