वर्षों बीत गयें नगमो की ,
वर्षों बीत गए साये वर्षों बीत गये प्यारे ,
ग़ज़लों की बारातें आये !!
मौन पड़े शब्द सारे मेरे,
मौन पड़े सब अपने ,
देख रहा तन्हा गलियों में तेरे हीं सदके सपने !!
दबी पड़ी आवाज़ जो दिल में ,
कल को फूट पड़ेंगे, मिट जायूँगा कल तो क्या गम,
साथ रहेंगी नगमे ............!!
आज सही मैं मौन पड़ा ,
नियति की इस जग में ,
गिर गिर कर मैं बहुत संभला हुईं,
नीरस जीवन पग तल में !!
खिल जाए ये तन्हा दिल ,
तुम जो आवाज लगा दो ,
तर जाएँगी नगमे मेरी ,
अपने होठों से जो तुम गा दो!!
अब नही साँसे भी साथी,
रंगत नही कलियों में ,
मर रहा लम्हा घुट घुट कर ,
देख तन्हा गलियों में !!
शायद अब भी तू आ जाए,
आ कर मेरी नगमे गा जाए ,
बेजान पड़ी मेरी नगमो को,
अपनी साँसों की खुशबू दे जाए !!
जीवन की अन्तिम रातों में ,
एक बार फिर तुम से कहता हुं,
नगमो को मेरी सहला दो ,
इन नगमो में मैं बसता हूँ !!
वर्षों बीत गए साये वर्षों बीत गये प्यारे ,
ग़ज़लों की बारातें आये !!
मौन पड़े शब्द सारे मेरे,
मौन पड़े सब अपने ,
देख रहा तन्हा गलियों में तेरे हीं सदके सपने !!
दबी पड़ी आवाज़ जो दिल में ,
कल को फूट पड़ेंगे, मिट जायूँगा कल तो क्या गम,
साथ रहेंगी नगमे ............!!
आज सही मैं मौन पड़ा ,
नियति की इस जग में ,
गिर गिर कर मैं बहुत संभला हुईं,
नीरस जीवन पग तल में !!
खिल जाए ये तन्हा दिल ,
तुम जो आवाज लगा दो ,
तर जाएँगी नगमे मेरी ,
अपने होठों से जो तुम गा दो!!
अब नही साँसे भी साथी,
रंगत नही कलियों में ,
मर रहा लम्हा घुट घुट कर ,
देख तन्हा गलियों में !!
शायद अब भी तू आ जाए,
आ कर मेरी नगमे गा जाए ,
बेजान पड़ी मेरी नगमो को,
अपनी साँसों की खुशबू दे जाए !!
जीवन की अन्तिम रातों में ,
एक बार फिर तुम से कहता हुं,
नगमो को मेरी सहला दो ,
इन नगमो में मैं बसता हूँ !!
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