August 12, 2009

तेरी यादों के साये


जीवन में कौन कहाँ कब कैसे मिल जाता है और बिछड़ जाता है , कोई नही जानता पर हर वो मिलने और बिछड़ने वाला अपने अतीत के साए को वर्तमान के दामन से जोड़कर चला जाता है ।अपनी कुछ यादें , कुछ पल को छोड़ कर ,,...............वो यादें कभी आंखें नम करतीं है तो कभी ढेर साड़ी खुशियाँ भर देती है ।





पर समय को किसने रोका है , वक्त करवटें बदलता है और एक ही झटके में सारे अरमानों , साड़ी खुशियों की शाम आँखों में आंसू ले आए


मेरे सपनो के शीशमहलs टूट कर बिखर गया । रह गया तो बस उसकी यादों के अबशेष


सच ही है जब आदमी का देखा हुआ सपना टूटता है तो उसे वास्तविक जीवन से भी नफरत होने लगती।


आज मुझे उससे मिले एक साल हो गए , परुन्तु आज भी वो मेरी आंखों में रोशनी बनकर , रगों में खून बनकर , सिने में धड़कन बनकर बसी हुई है । उसका हर लब्ज आज भी मेरे सिने को तार-तार कर जाता है ॥

"शाम से आंखों में कुछ नमी सी है ,

आज फिर आपकी कमी सी है .....!!"

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