जीवन में कौन कहाँ कब कैसे मिल जाता है और बिछड़ जाता है , कोई नही जानता पर हर वो मिलने और बिछड़ने वाला अपने अतीत के साए को वर्तमान के दामन से जोड़कर चला जाता है ।अपनी कुछ यादें , कुछ पल को छोड़ कर ,,...............वो यादें कभी आंखें नम करतीं है तो कभी ढेर साड़ी खुशियाँ भर देती है ।
पर समय को किसने रोका है , वक्त करवटें बदलता है और एक ही झटके में सारे अरमानों , साड़ी खुशियों की शाम आँखों में आंसू ले आए ।
मेरे सपनो के शीशमहलs टूट कर बिखर गया । रह गया तो बस उसकी यादों के अबशेष ।
सच ही है जब आदमी का देखा हुआ सपना टूटता है तो उसे वास्तविक जीवन से भी नफरत होने लगती।
आज मुझे उससे मिले एक साल हो गए , परुन्तु आज भी वो मेरी आंखों में रोशनी बनकर , रगों में खून बनकर , सिने में धड़कन बनकर बसी हुई है । उसका हर लब्ज आज भी मेरे सिने को तार-तार कर जाता है ॥
"शाम से आंखों में कुछ नमी सी है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .....!!"
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