मेरी आंखें देना उसे
जिसने कभी उगते सूरज को
किसी बच्चे के या फिर किसी स्त्री की
आंखों में प्यार नही देखा ।
मेरा दिल देना उसे
जिसके अपने दिल ने उसे दर्द के अशेष दिनों
के सिवा कुछ और नही दिया ।
मेरा रक्त देना उसे
जिस लड़के को कर के मलबे के नीचे
से खीचा गया था,
ताकि वह देख सके इस प्यारी दुनिया को ।
ले जाओ मेरी हड्डियाँ ,मांस पेसियां
नाडियाँ , रेसा-रेसा मेरी काया का ,
और निकालो कोई रास्ता ,
ताकि चलने लगे वह अपांग बच्चा ......!
जो कुछ बचे मेरा ,
जला दो , राख बिखेर दो ,
हवायों में , फिजायों में , घतायों में
की फूल खिल सके ,
फिजा महक सके ,
नाज़ कर सके जहाँ ,
यदि कुछ दफ़न करना चाहो
तो दबा देना मेरे दोष
मेरी कमजोरियां और मेरे पुर्बग्रह ,
जो पाले थे मैंने अपने हीं साथियों के विरुद्ध ,
मुझे याद अगर चाहो करना
तो जिसको जरुरत हो तुम्हारी
उससे बोल लेना मीठे दो बोल
यह सब कर सकोगे ...
जो मैंने कहा है तो मैं जिन्दा रहूँगा
हमेशा के लिया तुम्हारे पास .............!!!!
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