मुझसे मत पूछ की क्यूँ आँख झुका ली मैंने,
तेरी तस्वीर थी जो तुझसे छुपा ली मैंने,
जिस पे लिखा था की तू मेरे मुक़द्दर में नही,
अपने माथे की वोह तहरीर मिटा ली मैंने,
हर जन्म सबको यहाँ सच्चा प्यार कहाँ मिलता है,
तेरी चाहत में तो उम्र बिता ली मैंने,
मुझको जाने कहाँ एहसास मेरे ले जाएँ,
वक्त के हाथों से एक नज़्म उठा ली मैंने,
घेरे रहती है मुझे एक अनोखी खुशबु,
तेरी यादों से हर एक साँस सजा ली मैंने,
जिसके शेरोन को वोह सुनके बहुत रोया था,
बस वोही एक ग़ज़ल सबसे छुपा ली मैंने ।
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