August 31, 2009
अजीब है तेरा शहर.....!!!.
हँसी अपनी भूल गया अजीब है तेरा शहर ,
हर तरफ धुंध है अजीब है तेरा शहर ,
कभी ख्वाबो की समंदर थी जिन्दाजी मेरी ,
अब ख्वाबे सताती है मुझे ,
अजीब है तेरा शहर .......!!
जिंदगी का पता पूछने आया था बिथौम्स तेरी वादों पे
अपना हीं आसियान भूल गया ,
अजीब है तेरा शहर ..........
दो एक चेहरे थे पहचाने जिंदगी की राहों में
अब धुंध ही धुध है पसरी चारो तरफ़
अजीब है तेरा शहर ................
तुमने तो बड़ी कसीदें सुने थी- क्या हुआ...
शायद सपने मरे जाते है यहाँ
अजीब है तेरा शहर
तमन्ना थी दो एक दिन जीने की
जाने क्यूँ तबियत बदल सी गई
अजीब है तेरा शहर..............!!!
हर तरफ धुंध है अजीब है तेरा शहर ,
कभी ख्वाबो की समंदर थी जिन्दाजी मेरी ,
अब ख्वाबे सताती है मुझे ,
अजीब है तेरा शहर .......!!
जिंदगी का पता पूछने आया था बिथौम्स तेरी वादों पे
अपना हीं आसियान भूल गया ,
अजीब है तेरा शहर ..........
दो एक चेहरे थे पहचाने जिंदगी की राहों में
अब धुंध ही धुध है पसरी चारो तरफ़
अजीब है तेरा शहर ................
तुमने तो बड़ी कसीदें सुने थी- क्या हुआ...
शायद सपने मरे जाते है यहाँ
अजीब है तेरा शहर
तमन्ना थी दो एक दिन जीने की
जाने क्यूँ तबियत बदल सी गई
अजीब है तेरा शहर..............!!!
एक आखरी आशा ..!!
एक ख्वाब था , दिल में तन्हा... पल-पल सवार था, सजाया था , संभाला था दुनिया की हवायों से ,, पर बस पता नही , क्यूँ उसे अच्छा नही लगा.... की वो साथ दे मेरा...... अब तो ख़ुद मुझे भी खुस से ओई उम्मीद नही रही, न है दिल में कोई आरजू...और न हीं कोई अपराधबोध का एहसास ;;;; कल की सोचता हीं नही,, शायद मेरे जगह पर कोई और होता तो वक्त के साथ सब भूल जाता,,पर मेरा याद करना वक्त के साथ और भी बढ़ता जाता है कोई भी वक्त का मरहम या खुशी की चकाचौंध इसे धूमिल नही कर सकता !! बस एक हीं बात दिल में आता है अक्सर .......... की कोई बस मुझे उससे एक बार मिला दे ;; एक बार छूने दे उसे;;एक बार फिर उन आँखों का दीदार करने दे...... जिसमे कवेल मैं था -केवल मैं.... जब भी इस भगवान् नाम के सक्श की याद आती है पता नही बार-बार एक हीं सवाल मेरे होठों पे तैर जातीं है
"मुझसे उसे छिनकर तुम्हे क्या मिला" अबऐसा कोई खुशी नही जो राहुल को हँसा दे...कोई ऐसा नही जो राहुल को बहला दे.... बस एक तेरी यादें हैं -और एक आशा की अब भी मेरे पास करने के किए आखरी उपाय है जो मुझे उससे मिला सकता है ।
परखना मत .........!!!
परखना मत परखने से कोई अपना नही रहता ,
भी आइने में देर तक चेहरा नही रहता ,
बड़े लोगों से मिलने में हमेसा फासला रखो ,
जहाँ दरिया समंदर से मिला , दरिया नही रहता,
तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नए मिजाज़ बाला है ,
हमरे शहर में भी अब कोई हमसा नही रहता ,
मोहब्बत में तो खुशबू है हमेशा साथ चलती है ,
कोई इंसान है जो तन्हाई में भी तन्हा नही रहता !!!
August 30, 2009
August 24, 2009
August 13, 2009
वतन पे मरने वालों ज़रा देखो पीछे मुड़कर
August 12, 2009
बंधन
कामवासना से भागने की कोई जरुरत नही,है । धयान पूर्वक उस में उतरो।परमात्मा ने हमे जो कुछ भी दिया है--अर्थपूर्ण हीं दिया है ।मगर सदियों से उसे दबाया जा रहा है । और उसी का परिणाम है की आज हम काम के बारे में खुल कर बात नही करतें । वह हमारे भीतर भर गया है की बाहर तो वेदांत , गीता , रामायण और शास्त्रों की बात होती है पर अन्दर...........!!! खुल जाओ ....स्वंतत्र हो जाओ, ख़ुद से सारे बंधन से - जो तुम्हे बांधते है ..!!!!
चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: bandhan,
मेरी दिल की लहरे
कभी अनायास जब उदास होता है मन
एक अजीब सी धड़कन दिल में उठती है
मुझे कुछ नही पता ,शायद कुछ पूछती है
बड़ी शान्ति मिलती है मुझे उस वक्त ,,
एक बड़ी ही अजीब शान्ति
तब सोचता हूँ ..............!!
कितना अजीब है - उदासी और शान्ति
दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नही ,
फिर भी मालूम नही
क्यूँ लगता है मुझे ,
ये दोनों पूरक हैं एक दुसरे के
और सख्त हो जाता हूँ मैं ,
बिल्कुल मजबूत ............!!
अजीब लगता है --
उदासी-शान्ति-मजबूती ....
इतना मजबूत इतना शांत
जैसे प्रशांत ..................!!
और हँसी आ जाती है मुझे बरबस ,
क्या बाकी मैं भी
दे सकूँगा मजबूती इतनी
अपनी दिल की लहरों को
की छाप छोड़ सके
धड़कने मेरी-ख्वाबे मेरी ,वक्त की रेत पे
क्या होगी शक्ति इतनी मेरी लहरों में
की तट पर पहुंचकर ये टूटे नही ,
छू जाए आसमान को ...............!!!!
सामानांतर रेखाएं एक जोड़ी
(मैं इस कविता को पहले थोड़ा बता देता हूँ, सामानांतर रेखा--एक जोड़ी दो रेखा,,शायद एक के विना दूसरा बिल्कुल बेकार,,पर एक दुसरे का पूरक होते हुए भी वो कभी मिल नही पाते,,मिलते है तो बस अनंत पर , ये कविता भी ठीक वही स्थति व्यान करती है , वाकी आप समझ सकतें है.......... मैं मौन हूँ )
हम दोनों जानते है एक दुसरे को शायद बरसो से
फिर भी जाने क्यूँ लगता है मुझे
हम दोनों सामानांतर रेखाएं है एक जोड़ी
जो कभी मिल नही सकतें
दुनिया की नजरो में हम रेखाएं हैं हम एक जोड़ी
एक के बिना दूसरा बिल्कुल अधुरा
पर शायद यह एक फ़साना हीं है
एक ऐसा अनजान फ़साना
जो वास्तवकिता से बिल्कुल परे है
बार बार सोचता हूँ आख़िर क्यूँ है ये दूरी
क्यूँ नही तोड़ देते ये फासले ये मजबूरी
और सहसा तुम कह उठती हो
ये मज़बूरी नही ,कोई दूरी नही
ये तो एक सच्चाई है हमारे पवित्र प्यार की
जो है दुनिया से बिल्कुल अंजना , बिल्कुल अनचाहा
मैं भी सोचता हूँ --
ठीक ही तो कहती हो तुम
शायद बिल्कुल ठीक कहती हो
ये तड़पन ये धड़कन क्या कम हैं
जो प्यासे हैं तेरी एक झलक को
आख़िर इससे हीं तो तेरी यादें जुड़ी है
रातों की वो बातें जुड़ी है
जुड़ी है एक प्यारा सा "प्रकाश"
जिसकी ज्योति कभी मद्धम नही होती
कभी नही.....................!!!!
बात निकलेगी तो.........!!
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी
लोग बेबजह उदासी का शबव पूछेंगे
ये भी पूछेंगे की तुम इतनी तन्हा क्यूँ हो॥
उंगलियाँ उठेगी सूखे हुए बालों की तरफ़
एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़
चूडियों पर भी कई तंज किए जायेंगे
कापते हाथों में भी फिकरें कसे जायेंगे
लोग जालिम हैं हर बात का ताना देंगे
बातों-बातों में मेरा जिक्र भी ले आएंगे
उनकी बातों का जरा भी असर मत लेना
वरना चेहरे की उदासी समझ जायेंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी
लोग बेबजह उदासी का शबव पूछेंगे ॥
लोग बेबजह उदासी का शबव पूछेंगे ॥
तेरी यादों के साये
जीवन में कौन कहाँ कब कैसे मिल जाता है और बिछड़ जाता है , कोई नही जानता पर हर वो मिलने और बिछड़ने वाला अपने अतीत के साए को वर्तमान के दामन से जोड़कर चला जाता है ।अपनी कुछ यादें , कुछ पल को छोड़ कर ,,...............वो यादें कभी आंखें नम करतीं है तो कभी ढेर साड़ी खुशियाँ भर देती है ।
पर समय को किसने रोका है , वक्त करवटें बदलता है और एक ही झटके में सारे अरमानों , साड़ी खुशियों की शाम आँखों में आंसू ले आए ।
मेरे सपनो के शीशमहलs टूट कर बिखर गया । रह गया तो बस उसकी यादों के अबशेष ।
सच ही है जब आदमी का देखा हुआ सपना टूटता है तो उसे वास्तविक जीवन से भी नफरत होने लगती।
आज मुझे उससे मिले एक साल हो गए , परुन्तु आज भी वो मेरी आंखों में रोशनी बनकर , रगों में खून बनकर , सिने में धड़कन बनकर बसी हुई है । उसका हर लब्ज आज भी मेरे सिने को तार-तार कर जाता है ॥
"शाम से आंखों में कुछ नमी सी है ,
आज फिर आपकी कमी सी है .....!!"
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