November 18, 2011

खाव्ब-कुछ तेरे कुछ मेरे



शीशा में देखता देखता चेहरा अपना
तो रो देता देता.....
किसी ने न पोछा आंसू , जबसे तुम गए हो
खामोश हो चुकी है जुवां जब से तुम गए हो
मेरी आँखों में टूटे हुए सपने कुछ दे गए हो
उन्ही सपनो में अब जिंदगी की गुजर करता हूँ
खाव्ब को तोडा नहीं जब से तुम गए हो .


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